चित्त प्रवाह!?
जनतंत्र में निरन्तर जन जागरण महत्वपूर्ण है!!#अशोकबिन्दु
सनातन में अनन्त संभावनाएँ हैं।
हम जिस स्तर पर हैं, उससे नीचे व ऊपर भी अनंत स्तर हैं। कोई भी पूर्ण नहीं है।
जीवन की अनंत यात्रा में अनंत पड़ाव हैं। जो अपने पड़ाव के स्तर पर तो विकसित हो सकते हैं क्षणों भर के लिए लेकिन अनंत यात्रा में सब कुछ विकसित है, निम्न नहीं हैं। जो ऋणात्मक भी हो सकता है और ऋणात्मक भी।
ऐसे में जीवन पथ पर जो महापुरुष हैं, उन्हें नमन, चिंन्तन, आत्मसात, सोंच में रखना आवश्यक है। इसके लिए निरंतर जनजागरण आवश्यक है।
भारत है प्रकाश में दौड़, भारतीयता है उस प्रकाश मई।
वह हमें गुरुत्व में है।
भौतिक भारत जब जगत गुरु था तब गुरु महत्वपूर्ण था। समाज का मस्तिष्क गुरुत्व था।शिष्यत्व था।
वर्तमान में जगत गुरु के सपने देखे जा रहे हैं। सही है, हम भी यह सपना गिनते हैं। लेकिन यह सिर्फ भौतिकवाद से संभव नहीं है।
शिक्षा को चरमोत्कर्ष व सत्तावाद से मुक्त कर दिया जाएगा। गुरुओं के ही नियन्त्रण में लानी होगी। शिक्षा को व्यापार बनाने से योजना बनेगी।शिक्षक को व्यवसायी बनाने से योजना बनेगी।
शिक्षा में महान क्रांति की आवश्यकता है। शिक्षा में क्रांति!! शिक्षा उत्थान आंदोलन की आवश्यकता है।
किसी व्यक्ति की आवश्यकता के प्रबंधन को उसकी पूर्णता (मूल, सूक्ष्म और कारण की आवश्यकता प्रबंधन) के आधार पर स्थापित करना होगा।
हमें सनातन को सिर्फ कर्मकांडों के दखल से नहीं वरन मन प्रबंधन, आत्मा प्रबंधन के स्तर पर समझने की दृष्टि पैदा होगी। जो आध्यात्मिक, व्यवसायिक, व्यवहारिक, व्यक्ति की रुचि आदि के आधार पर ही तय किए जाएंगे।
#अशोकबिन्दु
कुटम्बी अशोक कुमार वर्मा "बिंदु"/अशोक बिंदु भैया
Shashank मणि Yadava 'सनम'
16-Mar-2023 06:11 AM
लाजवाब लाजवाब लाजवाब
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